सोमवार, सितंबर 30, 2013

श्रीलंका - बौद्ध धर्म का बदलता स्वरूप

बौद्ध धर्म का मूलतत्व है अहिंसा। ध्यानमग्न भगवान बुद्ध के मुखारविन्द पर फैली शान्ति किसी उग्र प्राणी को भी शान्त कर दे। वैसे भारतीय उपमहाद्वीप पर जन्मे सभी पुरातन महान धर्मों (सनातन धर्म, जैन धर्म और बौद्ध धर्म) में अहिंसा को उच्चतम स्थान दिया गया है। वर्तमान युग में इस्लाम, क्रिस्तानी, सिख और हिन्दू धर्म के उग्र अनुयायियों के बारे में तो मैं पढ़ भी चुका हूँ और देख भी, मगर बौद्ध धर्म के बारे में मेरे कुछ अलग विचार थे जो अब कुछ हद तक मलिन हो चुके हैं। उम्मीद है कि जैनियों के बारे में कभी ऐसा न लिखना पड़े।

दक्षिण एशिया के दो देश, श्रीलंका और बर्मा जो सदियों से बौद्ध धर्म की आडम्बर-शून्य विरासत को ढो रहे हैं, आज 'बौद्ध आतंक' के लिए ज्यादा मशहूर हैं। बर्मा की पश्चिमी सरहद, जो बांग्लादेश से जुडी है, पर मुजाहिदीनों का संघर्ष काफी पुराना है। इस वजह से आज रोहिंग्या मुस्लिम बर्मा की मिलिटरी जन्टा के हाथों प्रताड़ित हो रहे हैं। इनमें से कई तो बांग्लादेश में पनाह ले रहे हैं और कई हिंदुस्तान भी आ पहुंचे हैं - और हम तो हैं ही प्रताड़ितों के चिन्ताहारक। अशिन वराथु, जो शक्ल से तो बहुत ही मासूम हिरन के शावक की तरह लगते हैं आज दुनिया के सामने 'बौद्ध आतंक' के प्रतीक बने हुए हैं। अमेरिका की टाइम मैगज़ीन के कवर पर वे शोभा दे चुके हैं। (कथित रूप से) इनके नेतृत्व में भीड़ों ने कई मुस्लिमों पर हमला किया है और उनकी संपत्ति को नष्ट किया है।



हद तो तब हो गयी जब दलाई लामा को बर्मा के बौद्ध जनता से शांति की गुहार करनी पड़ी!

बर्मा के मुकाबले, श्रीलंका के सिन्हलों को मुस्लिमों से कोई सीधा खतरा नहीं है मगर फिर भी धार्मिक असहनशीलता का एक भाव है। पहले श्रीलंका के तमिल हाथ चढ़े थे, जो लिट्टे के ख़त्म होने के बाद अब उतने शक्तिशाली न रहे, तो अब मुरों (मुस्लिमों) की बारी है। बोदू बल सेना (बी बी एस), एक सिंहल राष्ट्रवादी संघठन है जिसने बुरका, हलाल मीट और खाड़ी के देशों द्वारा प्रायोजित मस्जिद निर्माण के खिलाफ बेड़ा उठाया हुआ है। इस संघठन के संस्थापक भी बौद्ध भिक्षु हैं। आश्चर्य इस बात का नहीं है कि बी बी एस अपने संकीर्ण उद्देश्य में सफल हो पाया है, मगर इस बात का है कि यह सब शांति के प्रतीक बौद्ध धर्म की नाक के नीचे और भिक्षुकों के ही सक्रिय संरक्षण की वजह से हो रहा है।

मुस्लिमों के धार्मिक विचारों और धारणाओं पर हुए इन हमलों का असर हाल ही में बौध गया में महाबोधि मंदिर में हुए विस्फोटों के रूप में दिखाई दिया। कुछ उपद्रवी मूर्खों ने, जो बिहार से थे, अमर जवान ज्योति पर हमला कर उसका अनादर किया। पता नहीं क्यों जब भी दुनिया भर के मुस्लिमों पर कुछ भी हमला होता है तो अपने देश में उसका प्रतिफल दिखाई देता है? ऐसे काम करने वाले मूर्ख बची खुची सहानुभूति भी खो देते हैं। इन्हें कड़ी सजा मिलनी चाहिए।

चलते चलते
वैसे श्रीलंका में आमतौर पर चीज़ें काफी सस्ती हैं, मगर समाचारपत्र काफी महंगे हैं। श्रीलंका मिरर के रविवार संस्करण का मूल्य ६० श्रीलंकन रूपये (लगभग ३० भारतीय रूपये) है! इसलिए एक बार जब मैंने मिरर ख़रीदा तो पहले से आखिरी पन्ने तक पूरा पढ़ डाला। डाम्बूला से लेकर कैंडी की चार घंटे की लम्बी यात्रा आराम से कटी।

पिछली कड़ियाँ :
श्रीलंका - एक भूमिका
सफाई पसंद श्रीलंका
श्रीलंका के धर्म सम्प्रदाय
श्रीलंका में बौद्ध धर्म - एक इतिहास


चित्र साभार - टाइम मैगज़ीन

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