रविवार, मई 23, 2010

शेरों को कैसे बचाएँ?

Save Tigers!

यह नारा आजकल काफी गूँज रहा है। और क्यों नहीं ! गूंजना भी चाहिए - शेर हमारे राष्ट्रीय जीव हैं। अमरीकी ईगल (गंजा गिद्ध कहना सही न होगा) , चीनी पांडा, आस्ट्रेलियन कंगारू - ये मात्र जानवर नहीं एक राष्ट्र प्रतीक हैं।

शेर को लेकर कुछ ज्यादा ही हल्ला गुल्ला है। एयरसेल, एनडीटीवी और WWF ने मिलकर देश के बाकी बचे १४११ शेरों को बचाने का जिम्मा उठाया है। (वैसे उन्होंने सौरव गांगुली को न चुनकर गलती की अन्यथा इस संख्या में एक का इजाफा हो सकता था) उनकी वेबसाईट कहती है कि शेरों को बचाने के लिए आप बहुत कुछ कर सकते हैं - इन्टरनेट पर चिल्ल पों (ब्लॉग, ट्वीट, फेसबुक, यू ट्यूब आदि अनादी), WWF जैसी संस्थाओं को दान, शेरों के बारे में जागरूकता बढ़ाना वगैरह - वगैरह।


मगर इन सब से क्या कोई सीधा फर्क क्या पड़ेगा? शेरों को सबसे बड़ा खतरा है अवैध शिकार से। आखिर पोचर्स WWF से सलाह मशविरा और ट्विटर पर अपना स्टेटस अपडेट करके तो शिकार करने जायेंगे नहीं! काजीरंगा नेशनल पार्क में शेरों का घनत्व विश्व में सबसे अधिक है - 32.64 प्रति १०० वर्ग किमी। अभी हाल ही में चार पोचर्स को वहां मारा गया है।

शेरों के अंगों से बनी दवाइयों की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में काफी मांग है - खासकर चीन में। ९ खरब रूपये प्रति वर्ष का बाज़ार है ये। क्या इन अंगों को प्रयोगशाला में तैयार नहीं किया जा सकता? यह खबर देखिये, 2006 की है - वैज्ञानिकों ने लैब में इंसान का गुर्दा तैयार किया और यहाँ २०१० की इस खबर में लैब में तैयार हुए साजोसामान से खरगोशों ने अपनी वंश वृद्धि भी कर ली!

तो क्या गैंडे के सींग, हाथियों के दांत, चिड़ियों के पंख, शेरों की हड्डियाँ, खाल और पंजे प्रयोगशाला में तैयार करके बाजार में नहीं उतारे जा सकते?

Image Credits: Wikipedia

रविवार, मई 16, 2010

जवाबी हलचल

हाल ही में आईपीएल के निलंबित आयुक्त और मोदीनगर के युवराज ललित कुमार मोदी ने बीसीसीआई के कारण बताओ नोटिस का जवाब दिया। उनकी ट्वीट के अनुसार १५,००० पन्नों का ये जवाब छह डब्बों में भरकर सौंपा गया। बीसीसीआई के प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी रत्नाकर शेट्टी, जिन्होंने यह 'जवाब' ग्रहण किया, के अनुसार सभी सम्बंधित व्यक्तियों को इसकी एक प्रति प्रदान की जाएगी।

यह पूछे जाने पर कि इस बकासुरीय उत्तर को आत्मसात करने में काफी समय लगेगा, उनके वकील ने चुटकी लेते हुए कहा कि यह कोई बड़ी बात नहीं क्योंकि बीसीसीआई प्रमुख श्री शशांक मनोहर स्वयं एक वकील हैं जो एक मिनट में एक हज़ार पन्ने पढ़ लेते हैं। मोदी के वकील ने कहा कि उन्हें पूरा यकीन है कि श्रीमान मोदी के विरुद्ध लगाये गए सारे आरोप निराधार हैं और शीघ्रातिशीघ्र उन्हें पुनः स्थापित किया जायेगा।


ऐसा न होने पर उन्होंने एक और 'जवाब' भेजने की धमकी दी - इस बार ४५,००० पन्नों का। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि अगली बार भी यह प्रलेख बीसीसीआई प्रमुख से ही पढ़वाया जायेगा। यह खबर पढ़ते ही शशांक मनोहर ने अगली सुबह एक प्रेस कान्फेरेंस बुला कर इस्तीफ़ा देने की धमकी दे दी। उनके अनुसार उनके वकील होने का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। प्रेस कान्फेरेंस के दौरान उन्होंने कहा कि मोदी को हटाने में अरुण जेटली का हाथ था और चूँकि वे सुप्रीम कोर्ट के वकील हैं इसलिए इन दस्तावेजों को पढने का दायित्व भी उनका है। ४५,००० पन्नों का जवाब आने की स्थिति में उन्होंने विदर्भ क्रिकेट असोसीएशन में वापस जाने की इच्छा जाहिर की।

एक प्रमुख राष्ट्रीय दैनिक के युवा और जुझारू रिपोर्टर ने इस सवाल को श्री जेटली के समक्ष प्रस्तुत किया। उन्होंने देश में चल रही 'हीट वेव' का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे भीमशाली गट्ठों को तैयार करने में न जाने कितने पेड़ों को हलकान किया गया होगा। उन्होंने इन पुलिंदों को जनविरोधी करार देते हुए आम जनता से इसके विरुद्ध आवाज उठाने की हिमायत की। उनका कहना था की उनकी पार्टी इस मामले में राष्ट्र व्यापी आन्दोलन छेड़ेगी। उन्होंने अपने न्यायिक अनुभव का परिचय देते हुआ कहा कि वे इस मामले में संवेधानिक संशोधन लाने से भी पीछे नहीं हटेंगे। १,००० पृष्ठों से ऊपर के दस्तावेजों के प्रकाशित होने की स्थिति में राष्ट्रपति की स्वीकृति परिहार्य होगी - ऐसा बिल वे संसद के ग्रीष्मकालीन सत्र में लायेंगे।

इसी दौरान निलंबित मंत्री श्री शशि थरूर का कहना है कि मोदी को बहाल किया जाना एक गलत उदहारण पेश करेगा। उन्होंने कहा केंद्र में मंत्री होने का उन्होंने कोई लाभ नहीं उठाया है - उल्टा उन्हें होटल से बाहर निकला गया और 'कैटल क्लास' में सफ़र करना पड़ा। जबकि दूसरी ओर मोदी अपने १३ लाख रूपये प्रति घंटे किराये वाले विमान का खर्चा भी आईपीएल से उठवा रहे हैं। यह सरासर नाइंसाफी है।