शनिवार, नवंबर 17, 2007

बौब कट वाली महिला

जब मैं शुरू में हैदराबाद आया था तो यहाँ बौब कट वाली कई महिलाएं दिखीं। आश्चर्य मिश्रित हर्ष हुआ ,मगर अधिकतर स्त्रियाँ निम्न-मध्यम वर्ग से थीं इसलिए थोडा अजीब भी लग रहा था ! ढोल गंवार डेली लेबर वाली औरत और ऐसा फैशन ? आंध्र प्रदेश तो मेरी उम्मीद से भी आगे निकला। जहाँ महिलाओं की इज्ज़त हो, इतनी स्वतंत्रता हो, वह बड़ा ही प्रगतिशील समाज है - ऐसे सुविचार मैं अपने मन में पाले हुए था। ऐसी महिलाओं को दूर से देख कर ही मन में आदर मिश्रित श्रध्दा के भाव उभर आते थे। मगर दिमाग के किसी कोने में एक शक रूपी कीडा मंडरा रहा था। खैर बात आई गयी हो गयी।

कुछ दिन बाद एक मित्र ने तिरुपति के दर्शन की बात कही। फिर क्या था - गूगल लेकर के उठा पटक मचा दी! कैसे जाना है, कहाँ जाना है, कहाँ रुकना है, कहाँ खाना है, दर्शन कैसे होंगे - आदि अनादी सभी सवालों के हल ढूँढ निकाले। आन्ध्र प्रदेश में हैं तो बिना तिरुपति दर्शन के कैसे चलेगा?

इसी खोजबीन में तिरुपति मंदिर के बारे में भी थोडा ज्ञान प्राप्त किया । अचानक कुछ देख कर के अपने सिर पे हाथ रख लिया - अभी तक तेरी ट्युबलाइट क्यों न जली ? मूर्ख ! वो बडे शहरों में रहने वाली तितलियों की तरह फैशन में पागल नहीं बल्कि धर्मांध स्त्रियाँ थीं। तिरुपति के मंदिर में अपने केश दान करके आई थीं। उफ़ मैंने यह पहले क्यों न सोचा।

आगे कुछ अनुसंधान करने पर यह ज्ञात हुआ कि जेनिफर लोपेज़ , पेरिस हिल्टन, निकोल रिची, जेनिफर एनिस्टन और वेनेथ पेल्त्रो जैसी मशहूर हौलीवुड हस्तियाँ भी भारतीय बालों की मुरीद हैं! यह भी पढने में आया कि विक्टोरिया बेकहम जैसी मशहूर अदाकारा हर महीने २००० पौंड (लगभग १ लाख ६० हज़ार रूपये) अपने बालों को "शेप" करने में खर्च करती हैं। मेधा पाटकर को मिल जाएं तो बाल नोंच लें उनके !



लंदन अकेले में ऐसे ५० सैलून हैं जहाँ ये "टेम्पल हेयर" मिलते हैं। बालों के इस लेनदेन में पिछले वर्ष ३०० मिलियन USD (~ १२ अरब रुपये ) का कारोबार हुआ ! इतना पैसा देखकर अब मंदिर समिति के अलावा अब कई बिचोलिये भी बाज़ार में आ चुके हैं। वैसे कुछ फिरंगी क्रिश्चन भी इस मामले को लेकर कुछ उत्तेजित हैं।

जहाँ पहले महिलाएं धार्मिक श्रध्दा और विश्वास के कारण केश दान करती थी वहीं आज उन्हें अपनी केश शोभाबेचने के लिए मजबूर तक किया जा रहा है। कहा तो यह भी जा रहा है कि तिरुपति मंदिर की कमाई का एक बड़ाहिस्सा "बालों" से आता है। पिछले साल तिरुपति मंदिर ने लगभग ३२ करोड़ रूपये इसी तरह नीलामी में कमाए।

बहरहाल हम तिरुपति तो न जा पाए मगर अब बात निकली है तो बता ही दिया।

5 टिप्‍पणियां:

  1. तिरुपति मंदिर की कमाई का एक बड़ाहिस्सा "बालों" से आता है।
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    तिरुपति में केशदान व्यर्थ है।

    उसमें तो मन्दिर को मिलता अर्थ है! :-)

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  2. मेरे केश भी माशाल्लाह कुछ ज्यादा ही बड़े हो गए हैं. एक बारगी विचार उठा था कि क्यों न अब तिरुपति में केश दान किए जाएं - पुण्य का पुण्य और क्या पता इसी बहाने किसी खूबसूरत बाला के सिर पर सवार होने का चांस मिल जाए ? :)

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  3. सही!!
    अब भैय्या ऐसा है कि अपने केश अब अब अपने रहे ही नही, एक दो साल में चांद पूरा खिल उठेगा हम पर तो, ऐसे में कहे भी तो क्या कहें!!

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