रविवार, मई 31, 2009

दुनिया की सबसे कठिन भाषा?

मुझे नई भाषाएँ सीखने में रूचि है। कई सज्जनों ने पूछा, "क्यों?"। मन हुआ कि बडबडा दूँ "इन्टेलेक्चुअल क्युरिऔसिटी", मगर इन्टेलेक्चुअल को गटक गया और उगल दिया मात्र "क्युरिऔसिटी"। कई बार मन में प्रश्न उठता है कि "दुनिया की सबसे कठिन भाषा कौनसी है?"। वैसे यह प्रश्न यदि यूपी बोर्ड के छात्रों तो समक्ष रखा जाए तो सर्वसम्मत उत्तर मिलेगा - अंग्रेज़ी। यही देखकर उनके मन में अंग्रेजों के प्रति श्रद्धाभाव और बढ़ जाता है - वहां तो बच्चे भी अंग्रेज़ी बोल लेते हैं और यहाँ मैट्रिक पास होकर भी 'हेलो गुड मॉर्निंग और प्लीज़' से आगे नही बढ़ पाते!


वैसे यह प्रश्न भी बड़ा अजायब है, जिसका उत्तर इस बात पर निर्भर है कि उत्तर देने वाला कौन है! हिन्दीभाषी के लिए पंजाबी सीखना उसी तरह आसान है जैसे पुर्तगाली बोलने वाले के लिए स्पेनिश सीखना।अंग्रेज़ी में एक कहावत है "That's Greek to me" जिसका अपनी सीधी साधी खड़ी हिन्दी में अनुवाद है - "ये बात तो अपने पल्ले न पड़ी, सर के ऊपर से हो ली"गौरतलब बात यह है कि लगभग हर प्रमुख भाषा में इस कहावत का एक सदृश है। इन उदाहरणों पर एक नजर डालें तो कुछ दिलचस्प चीज़ें दिखाई देंगी। जैसे ब्रितानी लोगों के पल्ले ग्रीक, चीनी और डच भाषाएँ नही पड़ती तो फ्रांसीसियों के पल्ले हिब्रू और जावा। हमारी अपनी हिन्दी अरबों की समझ के बाहर है तो रो़म वासियों के लिए अरबी मंगल गृह पर बोली जाने वाली भाषा है। वैसे पंजाबी में भी कहते हैं " ਕੀ ਮੈਂ ਫਾਰਸੀ ਬੋਲ ਰਿਹੈਂ?" (क्या मैं फ़ारसी बोल रहा हूँ?)

अगर इन भाषाई मुहावरों को एक मानदंड मान कर यदि एक सर्वसम्मत निष्कर्ष निकला जाए तो वह यह होगा कि दुनिया की सबसे कठिन भाषा चीनी है। अब सीखने में सबसे मुश्किल भाषा बोलने वाले ये चीनी लोग किस भाषा को सबसे कठिन समझते हैं ? जंगल के राजा शेर को मात देने वाले को चुनौती देने का माद्दा किसमे है? चीनी भाषा के मुहावरों पर नजर डालेंगे तो पाएंगे कि चिडियों की भाषा ही अगला पायदान है। धन्य हो चीनियों!