सोमवार, मार्च 19, 2012

लूडो

बचपन में बहुत लूडो और सांप सीढ़ी खेला गया है - बड़ा ही सरल, सहज सा खेल. आज कंप्यूटर पर भारी भरकम ग्राफिक वाले खेल खेले जाते हैं - NFS हो या AoE या और कोई. अब तो गति संवेदक खेल भी बाज़ार में आ चुके हैं - जो आपके शरीर की हरकतों को भांप कर उसे स्क्रीन पर परिकल्पित करते हैं.

देखें तो यह प्रचलन खेलों, फिल्मों या किसी भी तकनीक आधारित विषय पर लागू होता है. मूर के सिद्धांत के अनुसार संगणन के हार्डवेयर में उन्नत तकनीकों के प्रयोग की वजह से आज मनुष्य के समक्ष कई विकल्प प्रस्तुत हैं. देखिये त्रासदी यह है कि टाइटैनिक जहाज के डूबने पर बनी फिल्म टाइटैनिक को बनाने में जहाज से ज्यादा पैसा लगा था!


आज के ये विडियो गेम्स कुछ ज्यादा ही यांत्रिक हैं. मानना पड़ेगा कि बहुत उच्च श्रेणी के वैशिष्ठ्य से लबालब है - आपको हैरान कर सकते हैं मगर उनमें कुछ तो कमी है. वह कमी है संयोग की. आप एक बार किसी विडियो गेम को खेल कर देखें - अगली बार आप उसे खेलेंगे तो आप पात्रों की स्थिति और कार्यकलाप का अनुमान लगा सकते हैं. आप कार रेस पर आधारित कोई खेल खेलें और देखें - एक निर्धारित समय पर ही कोई मोड़ या कोई दूसरा वाहन आपके सामने आएगा. आप किसी दूसरे 'Strategy' खेल का भी उदाहरण दे सकते हैं.

इन महंगे विडियो गेम्स के मुकाबले सांप सीढ़ी और लूडो जैसे खेल भले ही रमणीय न हो मगर आपके अंतर्मन को जरुर संतुष्ट करते हैं. आप खेल की परिस्थिति का पूरा अंदाज लगाकर कूटनीति बना लें मगर आपकी अगली चाल का निर्णय पासा फेंकने के बाद ही हो पाता है. प्रारब्ध के इस हस्तक्षेप से खेल में जो अनिश्चितता प्रस्तुत होती है वही खेल का मधुर रस है!

Image Courtesy: Wiki User Micha

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