कुछ अलग सा यह विश्व कप
वैसे यह विश्व कप कुछ अलग रहा है - पिछले फ़ाइनलिस्टस इटली और फ्रांस पहले ही राउंड में बाहर हो गए। मेजबान दक्षिण अफ्रीका भी दूसरे राउंड में नहीं पहुँच पाए - जो इस प्रतियोगिता के इतिहास में पहली बार हुआ है। ब्राजील हाल के वर्षों में अपनी सबसे कमज़ोर टीम होने के बावजूद भी दूसरी टीमों की धज्जियाँ उड़ा रहा है। जर्मनी अपने युवाओं के साथ इस प्रतियोगिता की सबसे बेहतर टीम रही है। वहीँ मुश्किल से इस विश्व कप के लिए अर्हता प्राप्त करने वाली अर्जन्टीना अपने अपारंपरिक प्रशिक्षक माराडोना के साथ काफी अच्छा प्रदर्शन कर रही है। एक टांग पर इस प्रतियोगिता में पहुंची इंग्लैंड की टीम अपने उबाऊ प्रदर्शन, ख़राब किस्मत और घटिया रेफेरियिंग से बाहर हो गयी। वहीँ जहाँ अफ़्रीकी महाद्वीप में पहली बार विश्व कप होने पर अफ़्रीकी टीमों के अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद लगाई जा रही थी वहां घाना के अलावा कोई टीम पहले दौर से आगे नहीं पहुँच पायी।
वुवुज़ेला
इस प्रतियोगिता का एक और वैशिष्ट्य रहे हैं तुरही रूप बाजे - वुवुज़ेला। लगभग दो फुट लम्बे ये बाजे पूरे मैच के दौरान मधुमक्खी रुपी बज्ज़ पैदा करते हैं। इनका काफी विरोध भी हो चुका है मगर फीफा ने इन पर प्रतिबन्ध लगाने से इनकार कर दिया। यहाँ तक की यू ट्यूब ने अपने कई लोकप्रिय वीडियो पर एक 'वुवुज़ेला' बटन भी लगाया है जिससे उन वीडियो के पीछे एक बज्ज़ ध्वनि पैदा होती है!
फिस्सड्डी भारत
वही भारतीय टीम के लुप्तप्राय होने के कारण मुझ जैसे कई भारतीयों को दूसरी टीमों का समर्थन करना पड़ता है। मेस्सी, काका, रोनाल्डो, रूनी जैसे खिलाडियों के नाम हमारी जुबान पर चढ़े हुए हैं। फुटबाल का समर्थन करना वैसे भी थोडा फेशनेबल है। वैसे मैं कोई बहुत बड़ा फुटबाल प्रशंसक या विशेषज्ञ नहीं हूँ। मैं भी उन बरसाती नदियों की तरह हूँ जिनमे वर्षा ऋतु प्राण फूंक देती है या फिर क्रिकेट रुपी कूप के निवासी वो मेंढक जो फुटबाल के अगाध समुद्र में हाथ पाँव मारने की कोशिश करते हैं।
एक बरसात और सही!
चित्र साभार : विकिपीडिया
आनन्द बरस रहा है हर मैच में । देखते रहा जाये ।
जवाब देंहटाएंअपन तो बस अखबार पढ कर काम चला लेते हैं।
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किसने कहा पढ़े-लिखे ज़्यादा समझदार होते हैं?